माटी दीया हा कहय, काखर मेरा जांव ।
कोनो फटकय ना इहां, काला दरद बतांव ।
खाथें मोरे अन्न ला, सोथे मोरे छांव ।
मोरे कोरा छोड़ के, कहां करे हे ठांव ।।
दीया बाती हा हवय, जस पानी मा मीन ।
रिगबिग ले बिजली बरे, फुटे फटाका चीन ।।
पढ़े लिखे लइका इहां, बइठे आलू छील ।
काम करय ना चीन कस, देखत रहिथे झील ।।
दर दर मांगय नौकरी, कागज ला देखाय ।
काम बुता जानय नही, कोने हुनर बताय ।।
स्वाभिमान हा कति सुते, देश प्रेम बिसराय ।
माटी दीया बार लव, अपने मान जगाय ।।
कोनो फटकय ना इहां, काला दरद बतांव ।
खाथें मोरे अन्न ला, सोथे मोरे छांव ।
मोरे कोरा छोड़ के, कहां करे हे ठांव ।।
दीया बाती हा हवय, जस पानी मा मीन ।
रिगबिग ले बिजली बरे, फुटे फटाका चीन ।।
पढ़े लिखे लइका इहां, बइठे आलू छील ।
काम करय ना चीन कस, देखत रहिथे झील ।।
दर दर मांगय नौकरी, कागज ला देखाय ।
काम बुता जानय नही, कोने हुनर बताय ।।
स्वाभिमान हा कति सुते, देश प्रेम बिसराय ।
माटी दीया बार लव, अपने मान जगाय ।।
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