//उड़ियाना-पद// लगही-लगही तब तो, गाँव हमर बढ़िया कान धरव ध्यान धरव, गोठ-बात मने भरव रखव-रखव साफ रखव, गाँव-गाँव तरिया ।। पानी के स्रोत रखव, माटी ला पोठ रखव जइसे के रखे रहिस, नंदलाल करिया ।। गाँव-गली चातर कर, लोभ-मोह ला झन धर बेजा कब्जा छोड़व, गाँव खार परिया ।। माथा ‘रमेश‘ हा धर, कहय दया अब तो कर गाय गरूवा बर दौ, थोड़-बहुत चरिया ।।
हास्य नज़्म-प्रो.रवीन्द्र प्रताप सिंंह
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उस्तरा ले के बुलाता है हज्जाम,चले आओलेना है इन जुल्फों से इंतकाम चले आओ ।
रंग ओ रोगन से छुपाई है जो सफेदी इनकीदेखो उसका क्या होगा अंजाम, चले आओ ।
कैंचियां ...
1 दिन पहले