//उड़ियाना-पद//
लगही-लगही तब तो, गाँव हमर बढ़िया
कान धरव ध्यान धरव, गोठ-बात मने भरव
रखव-रखव साफ रखव, गाँव-गाँव तरिया ।।
पानी के स्रोत रखव, माटी ला पोठ रखव
जइसे के रखे रहिस, नंदलाल करिया ।।
गाँव-गली चातर कर, लोभ-मोह ला झन धर
बेजा कब्जा छोड़व, गाँव खार परिया ।।
माथा ‘रमेश‘ हा धर, कहय दया अब तो कर
गाय गरूवा बर दौ, थोड़-बहुत चरिया ।।
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