पानी जीवन आधार, जिंनगी पानी ।
पानी हमरे बर आय, करेजा चानी ।।
पानी बिन जग बेकार, जीव ना बाचे ।
जानत हे सब आदमी, बात हे साचे ।।
बचा-बचा पानी कहत, चिहुर चिल्लाये ।
वाह वाहरे आदमी, कुछ ना बचाये ।।
काबर करथे आदमी, रोज नादानी ।
शहर-ष्श्हर अउ हर गाँव, एके कहानी ।।
स्रोत बचाये ले इहां, बाचही पानी ।
कान खोल के गठियाव, गोठे सियानी ।।
नदिया नरवा के रहे, बाचही पानी ।
तरिया खनवावव फेर, कर लौ सियानी ।।
बोर भरोसा अब काम, चलय ना एको ।
भुइया सुख्खा हे आज, निटोरत देखो ।।
बोर खने धुर्रा उड़य, मिलय ना पानी ।
हाल हवे बड़ बेहाल कर लौ सियानी ।।
-रमेश चौहान
पानी हमरे बर आय, करेजा चानी ।।
पानी बिन जग बेकार, जीव ना बाचे ।
जानत हे सब आदमी, बात हे साचे ।।
बचा-बचा पानी कहत, चिहुर चिल्लाये ।
वाह वाहरे आदमी, कुछ ना बचाये ।।
काबर करथे आदमी, रोज नादानी ।
शहर-ष्श्हर अउ हर गाँव, एके कहानी ।।
स्रोत बचाये ले इहां, बाचही पानी ।
कान खोल के गठियाव, गोठे सियानी ।।
नदिया नरवा के रहे, बाचही पानी ।
तरिया खनवावव फेर, कर लौ सियानी ।।
बोर भरोसा अब काम, चलय ना एको ।
भुइया सुख्खा हे आज, निटोरत देखो ।।
बोर खने धुर्रा उड़य, मिलय ना पानी ।
हाल हवे बड़ बेहाल कर लौ सियानी ।।
-रमेश चौहान
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