//उड़ियाना-पद// लगही-लगही तब तो, गाँव हमर बढ़िया कान धरव ध्यान धरव, गोठ-बात मने भरव रखव-रखव साफ रखव, गाँव-गाँव तरिया ।। पानी के स्रोत रखव, माटी ला पोठ रखव जइसे के रखे रहिस, नंदलाल करिया ।। गाँव-गली चातर कर, लोभ-मोह ला झन धर बेजा कब्जा छोड़व, गाँव खार परिया ।। माथा ‘रमेश‘ हा धर, कहय दया अब तो कर गाय गरूवा बर दौ, थोड़-बहुत चरिया ।।
मां — डुमन लाल ध्रुव
-
मां…वो नाम नहीं एक संसार हैजिसमें हर दर्द का इलाज हैहर आंसू की पनाह हैहर
मुस्कान की वजह है ।वो दुआ हैजो लबों पर आने से पहलेपूरी हो जाती हैक्योंकि
मां की मम...
4 दिन पहले