चुन्दी (कुण्डलियां) चुन्दी बगरे हे मुड़ी, जस कोनो फड़बाज। लम्बा-लम्बा ठाढ़ हे, जइसे के लठबाज ।। जइसे के लठबाज, तने हे ठाढ़े-ठाढ़े । कंघी के का काम, सरत हे माढ़े-माढ़े ।। मुसवा दे हे चान, खालहे ला जस बुन्दी । आज काल के बात, मुड़ी मा बगरे चुन्दी ।। -रमेश चौहान
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
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6 दिन पहले