चुन्दी (कुण्डलियां) चुन्दी बगरे हे मुड़ी, जस कोनो फड़बाज। लम्बा-लम्बा ठाढ़ हे, जइसे के लठबाज ।। जइसे के लठबाज, तने हे ठाढ़े-ठाढ़े । कंघी के का काम, सरत हे माढ़े-माढ़े ।। मुसवा दे हे चान, खालहे ला जस बुन्दी । आज काल के बात, मुड़ी मा बगरे चुन्दी ।। -रमेश चौहान
हिन्दी दिवस पर विशेष -भाषा, संस्कृति और आत्मगौरव का उत्सव
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डुमन लाल ध्रुव हिन्दी :राष्ट्र की विविधताओं को जोड़ने वाली सेतु हिन्दी केवल
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1 दिन पहले